देखना चाहते हैं 400 साल पुरानी पांडुलिपियां और राष्ट्रकवि गुप्त की रचनाएं? नोट
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने बताया कि यहां 400 वर्ष पुरानी पांडुलिपियों को भी यहां संग्रहित किया गया है.यहां वृंदावनलाल वर्मा और मैथिलीशरण गुप्त के हाथ से लिखी कविताएं भी रखी गई हैं.हर पांडुलिपि और पुस्तक के बगल में एक क्यूआर कोड लगाया गया है. युवा इस कोड को स्कैन करके भी पुस्तकों और पांडुलिपियों के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
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